एक बार केदारनाथ जरूर जाना

केदारनाथ सबसे अहम हिंदू तीर्थ स्थानों में से एक है. मंदाकिनी नदी के किनारे चोराबाड़ी ग्लेशियर उत्तराखंड में मौजूद केदारनाथ भारत के सबसे ऊंचे ज्योतिर्लिंगों में से एक है .यह समुद्र तल से 3583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित चार धामों में से एक धाम केदारनाथ है. केदारनाथ का इतिहास बहुत रोचक रहा है. वैसे तो मान्यता है कि यह मंदिर आठवीं सदी में आदि शंकराचार्य ने बनवाया था पौराणिक कथाएं दावा करती है कि केदारनाथ की असली कहानी पांडवों से जुड़ी हुई है. यह मंदिर 400 साल तक बर्फ में भी दबा रहा था. 

ऐसा बताया जाता है यह कोई पौराणिक कथा नहीं बल्कि वाडिया इंस्टीट्यूट ऑफ हिमालयन जियोलॉजी देहरादून के द्वारा रिसर्च किया हुआ एक fact है. वैज्ञानिकों ने यह तथ्य इस आधार पर निकाला था कि मंदिर के ढांचे में कई पीली रेखाएं भी बनी हुई है. यह रेखाएं इसलिए बनी है क्योंकि ग्लेशियर से निकलती हुई बर्फ धीरे-धीरे पत्थरों से रेसिपी रही है. ग्लेशियर बहुत धीरे-धीरे अपना रुख बदलते हैं और सिर्फ बर्फ से नहीं बल्कि पत्थर और मिट्टी से भी बने होते हैं. 

2013 में केदारनाथ के मंदिर के अलावा बाकी सब जगह पर तहस-नहस हो गई थी. बाढ़ से बचने का कारण यह था कि जब पानी सब जगह आ गया था तब मंदिर के पीछे एक पत्थर आ गया था जिसके कारण पानी का बहाव बट गया था और इसलिए मंदिर बचा वरना पानी का बहाव इतना तेज था कि मंदिर का बच पाना मुश्किल था 

. इस जगह का नाम केदारनाथ किस लिए पड़ा था इसके पीछे यह कारण है कि इसकी कहानी भी भगवान शिव के रूप से जुड़ी हुई है.पौराणिक कथाओं के अनुसार असुरों से बचने के लिए देवताओं ने भगवान शिव से प्रार्थना की थी .इसी कारण भगवान शिव बैल केरूप में अवतरित हुए इस बैल का नाम था कोडाराम था. जो असुरों का विनाश करने की ताकत रखता था. इसी बैल के सिंह से असुरों का सर्वनाश हुआ था . इसी कोडाराम नाम से लिया गया है केदारनाथ .

ऐसा भी कहा जाता है कि केदारनाथ मंदिर की रक्षा करते हैं भैरव बाबा केदारनाथ से जुड़ा एक सच यह भी है कि बाबा भैरव उस मंदिर की रक्षा करते हैं. यह केदारनाथ मंदिर के करीब है और जब मंदिर बंद रहता है तब केदारनाथ की रक्षा करने के लिए भैरवनाथ मौजूद रहते हैं. इसलिए जब केदारनाथ के दर्शन को श्रद्धालु जाते हैं तो भैरव नाथ के दर्शन जरूर करते हैं.

 केदारनाथ धाम हमेशा से ही लोगों के आकर्षण का केंद्र रहा है और यहां जाने के लिए आपको पहले से थोड़ी सी रिसर्च कर लेना चाहिए वैसे तो यहां जाने के लिए हेलीकॉप्टर और घोड़े आदि उपलब्ध है लेकिन इस ट्रैक का मजा अलग ही है.