कभी-कभी लगता है मैं समाज पर एक धब्बा हूं एक इंटरव्यू में उर्फी जावेद ने बताया कि 3 महीने में कम से कम एक बार तो लोगों की बातें इफ़ेक्ट हो ही जाती है. उन्हें लगने लगता है कि शायद जो टेलर सही बोल रहे हैं. वे कहती हैं मुझे लगने लगता है कि शायद सच में सच में मैं समाज पर धब्बा हूं. शायद में औरत कहलाने के लायक नहीं हूं, शायद मैं सच में यंग जनरेशन के लिए एक बेड एग्जांपल हूं.