क्रूड ऑयल की आसमान छूती कीमतों का असर भारत को सबसे अधिक प्रभावित कर सकता है

रूस-यूक्रेन संकट ( Russia-Ukraine crisis) के चलते वैश्विक बाजार (Global Market) पर खतरा बरकरार है. दुनियाभर के शेयर बाजार बुरी तरह लड़खड़ाकर संभल रहे हैं. कुछ देशों की करेंसी वैल्यू पर असर पड़ा है. इस भू-राजनीतिक तनाव (Geopolitical Tensions) का और बुरा असर ग्लोबल मार्केट पर दिख सकता है. मशहूर फाइनेंशियल एंड रिसर्च कंपनी नोमुरा (Nomura) की रिपोर्ट के मुताबिक यूक्रेन संकट के चलते एशिया में सबसे बड़ा असर भारत (Ukraine conflict Effect on India) पर हो सकता है. आइए जानते हैं कि नोमुरा ने इस अनुमान के पीछे क्या और कौन से तर्क दिये हैं. युद्ध के बीच विदेशी मुद्रा की अहमियत समझते हुए 10 हजार डॉलर से ज्यादा की निकासी पर रोक लगा दी है. रूसी हमले में यूक्रेन को भारी नुकसान पहुंचा है. उसकी आर्थिक कमर भी टूटने के कगार पर खड़ी है.क्रूड ऑयल (Crude Oil Prices) की आसमान छूती कीमतों का असर भारत को सबसे अधिक प्रभावित कर सकता है. ब्रेंट क्रूड (Brent Crude) की कीमत करीब 3 फीसदी उछलकर 105 डॉलर प्रति बैरल पहुंच चुकी है. रिसर्च फर्म की रिपोर्ट के अनुसार, क्रूड ऑयल और खाद्य वस्तुओं की कीमतों (Food Prices) में लगातार बढ़ोत्तरी एशिया की अर्थव्यवस्थाओं पर काफी बुरा असर डालेंगी. बढ़ती महंगाई, कमजोर चालू खाता, बढ़ता घाटा और आर्थिक ग्रोथ के प्रभावित रहने से मुश्किल और बढ़ जाएगी.इकोनॉमिक्स टाइम्स में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक ताजा हालातों से भारत, थाइलैंड (Thailand) और फिलीपींस (Philippines) को सबसे अधिक नुकसान होगा. जबकि, इंडोनेशिया (Indonesia) को अपेक्षाकृत रूप से फायदा होगा. शुद्ध रूप से तेल आयातक होने के चलते भारत को भारत को भी काफी नुकसान होगा. क्योंकि तेल की कीमतों में लगातार बढ़ोत्तरी देखने को मिल रही है. रिपोर्ट मे कहा गया, ‘कच्चे तेल की कीमतों में बढ़ोत्तरी से उपभोक्ताओं और कारोबारों पर काफी बुरा प्रभाव पडे़गा. हमारा अनुमान है कि तेल की कीमतों में प्रत्येक 10% उछाल के कारण जीडीपी ग्रोथ (GDP Growth) में करीब 0.20% प्वाइंट की गिरावट आएगी.’भारत के क्रूड बास्केट में 10 डालर प्रति लीटर की बढ़ोत्तरी 2022 के सालाना जीडीपी ग्रोथ के अनुमान 9.2 फीसदी से 10 बेस प्वाइंट की ग्रोथ कम कर सकता है. बैंक ऑफ बड़ौदा के मुख्य अर्थशास्त्री मदन सबनवीस ने कहा कि क्रूड बास्केट में 10 फीसदी की स्थायी बढ़त WPI आधारित महंगाई में 1.2 फीसदी और CPI आधारित महंगाई में 0.3 से 0.4 फीसदी की बढोत्तरी कर सकती है. जिसका सीधा असर आपकी जेब और आपके किचन के बजट पर पड़ेगा. यानी साफ है कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की इस जिद के चलते अब भारत में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) को महंगाई पर काबू करने के लिए कुछ बड़े फैसले लेने पड़ सकते