रिलायंस ने फ्यूचर रिटेल के कुछ स्टोर्स को अपने हाथों में ले लिया है और इसके कर्मियों को नौकरी ऑफर किया है

रिलायंस रिटेल ने फ्यूचर रिटेल के स्टोर्स जैसे कि बिग बाजार (Big Bazaar) को अपने हाथों में लेकर उसके ब्रांड नाम को बदलना शुरू कर दिया है. इसके अलावा फ्चूयर रिटेल के कर्मियों को रिलायंस रिटेल के पेरोल पर भी रखा जा रहा है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक रिलायंस इंडस्ट्रीज (Reliance Industries) ने फ्यूचर रिटेल (Future Retail) के करीब 200 स्टोर्स को अपने हाथों में ले लिया है और वहां काम करने वाले कर्मचारियों को नौकरी का ऑफर भी दिया है. फ्यूचर रिटेल का बिजनेस रिलायंस को बेचने का कानूनी तौर पर विरोध कर रही दिग्गज कंपनी अमेज़न ने फिलहाल इस मामले में कोई टिप्पणी करने से इनकार कर दिया है.

रिलायंस ने यह टेकओवर ऐसे समय में किया है जब फ्यूचर रिटेल की बिक्री का सौदा कई कानूनी लड़ाइयों में उलझा हुआ है. दरअसल, अगस्त 2020 में किशोर बियानी के फ्यूचर ग्रुप ने अपना रिटेल बिजनेस रिलायंस को बेचने का एलान किया था, लेकिन अमेजन (Amazon) ने इस सौदे का विरोध करते हुए इसे कानूनी चुनौती दे डाली. तभी से इस डील को लेकर कई मामले सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) और दिल्ली हाईकोर्ट (Delhi High Court) से लेकर एनसीएलटी (NCLT) तक में चल रहे हैं.अगस्त 2020 में रिलायंस और फ्यूचर के बीच सौदे के बाद लैंडलार्ड्स रिलायंस के पास पहुंचे क्योंकि फ्यूचर रिटेल किराया नहीं चुका पहा रहा था. इस पर रिलायंस ने इनके साथ लीज एग्रीमेंट किया और जहां संभव हुआ, वहां इसका सब-लीज शुरू किया ताकि फ्यूचर रिटेल अपना कारोबार जारी रख सके. जिन स्टोर्स को रिलायंस अपने हाथों में ले रही है, वे घाटे में चल रही हैं जबकि बाकी स्टोर्स फ्यूचर रिटेल के तहत चलते रहेंगे. इस प्रकार फ्यूचर रिटेल का ऑपरेटिंग लॉस कम होगा. इंडस्ट्री सूत्रों के मुताबिक रिलायंस ऐसे स्टोर्स की पहचान करेगी जिनसे मुनाफा कमाया जा सकता है. इसके अलावा वह स्टोर के करीब 30 हजार कर्मियों को फिर से काम पर रखेगी करीब दो साल पहले अगस्त 2020 में फ्यूचर ग्रुप ने अपना रिटेल कारोबार रिलायंस रिटेल को 24,712 करोड़ रुपये में बेचने की डील की थी. इस डील के तहत फ्यूचर ग्रुप का खुदरा व थोक कारोबार, लॉजिस्टिक्स और वेयरहाउस वर्टिकल समेत रिलायंस को सौंपा जाना था. लेकिन अमेजन ने इस सौदे को सिंगापुर के इंटरनेशनल आर्बिट्रेशन ट्रिब्यूनल में चुनौती दे दी. फिलहाल यह मामला भारत के सुप्रीम कोर्ट, दिल्ली हाई कोर्ट और एनसीएलटी में चल रहा है.