रिलायंस पहले के मुकाबले अब वैल्युएशन को कम कर सकती है

मुकेश अंबानी की कंपनी रिलायंस रिटेल और किशोर बियानी सपोर्टेड फ्यूचर ग्रुप की कंपनी फ्यूचर रिटेल के बीच की 24713 करोड़ रुपये की डील कैंसिल हो चुकी है। इसी के साथ मुकेश अंबानी का रिटेल किंग बनने का सपना भी लगभग टूट चुका है। हालांकि, फ्यूचर पर टेकओवर करने के लिए अंबानी अब नया दांव खेल सकते हैं।इकनॉमिक टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, रिलायंस रिटेल दिवाला समाधान प्रक्रिया के तहत फ्यूचर ग्रुप की संपत्तियों के लिए बोली प्रक्रिया में भाग लेने के लिए तैयार है। सूत्रों के मुतााबिक, ‘रिलायंस आखिरी दिन तक प्रस्तावित डील पर आगे बढ़ने के लिए तैयार थी। इसलिए अब अगर आईबीसी के तहत रिजॉल्यूशन प्रोसेस शुरू होती  है तो उसके एसेट्स खरीदने के लिए रिलायंस तैयार  है।बता दें कि फ्यूचर रिटेल के अधिकांश सुरक्षित लेनदारों ने योजना के खिलाफ मतदान करने के बाद, रिलायंस ने शनिवार को फ्यूचर ग्रुप के खुदरा, थोक, लाॅजिस्टिक और वेयरहाउसिंग कारोबार के अधिग्रहण के लिए अपने सौदे को रद्द कर दिया था। फ्यूचर ग्रुप के साथ डील कैंसिल करने को लेकर रिलायंस इंडस्ट्रीज ने शेयर बाजारों से  कहा कि फ्यूचर रिटेल लिमिटेड (FRL) और फ्यूचर समूह की अन्य कंपनियों ने इस डील की मंजूरी के लिए हुई बैठकों के नतीजों से अवगत कराया है। इसके मुताबिक, सौदे को शेयरधारकों एवं असुरक्षित कर्जदाताओं ने बहुमत से स्वीकार कर लिया है लेकिन सुरक्षित ऋणदाताओं ने प्रस्ताव को नकार दिया है। इस हालात में डील को आगे नहीं बढ़ाया जा सकता है। बता दें कि इनसॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड (IBC) के तहत समाधान कार्यवाही शुरू करने के लिए बैंक अब नेशनल कंपनी लॉ ट्रिब्यूनल (NCLT) से संपर्क करेंगे।रिलायंस पहले के मुकाबले अब वैल्युएशन को कम कर सकती है। समाधान प्रक्रिया में लगने वाले काफी समय के कारण फ्यूचर ग्रुप की इनटेंजिबल संपत्ति जैसे ब्रांड नाम के मूल्य में गिरावट की संभावना है। 
सूत्रों के मुताबिक, रिलायंस-फ्यूचर डील 24,713 करोड़ रुपये की थी, हालांकि रिलायंस पिछले 15-16 महीनों में फ्यूचर ग्रुप के बकाया 6,000 करोड़ रुपये को किराए, इन्वेंट्री की खरीद और कार्यशील पूंजी के लिए बकाया भुगतान के रूप में समायोजित करना चाहता था। रिलायंस फ्यूचर ग्रुप को किसी भी तरह के लोन का समर्थन नहीं करेगा क्योंकि अब यह आईबीसी समाधान के लिए नेतृत्व कर रहा है।