बिलकिस बानो ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा

बिलकिस बानो ने खटखटाया सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा. जी हम आपको बताने की गुजरात दंगा 2002 में हुई बिलकिस बानो के साथ गैंगरेप के आरोपी 11 आरोपियों को कोर्ट ने रिहा कर दिया था. जी हां आपको बता दें कि इसी के चलते बिलकिस बानो अब सुप्रीम कोर्ट पहुंची है 11 गैंगरेप के खिलाफ ताकि उन्हें सख्त से सख्त सजा मिल सके. दोस्तों हम कहना चाहते हैं कि, कहीं ना कहीं गलती हुई है कोर्ट से क्योंकि एक महिला जिसके साथ 11 दरिंदों ने गैंगरेप किया उसे कोई कोट कैसे छोड़ सकती है. बिलकिस बानो ने इसीलिए चैलेंज किया है सुप्रीम कोर्ट को. उन्होंने यह भी कहा है कि, वह सारी महिलाओं के लिए लड़ती रहेंगी जिनके साथ ऐसे अन्याय होता है.

बिलकिस बानो ने सुप्रीम कोर्ट के मई में दिए उस आदेश के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल करी है, जिसमें रिहाई का फैसला गुजरात सरकार पर छोड़ दिया था. इसके अलावा बिलकिस बानो ने सभी दोषियों की रिहाई के खिलाफ भी याचिका दाखिल करी है. आपको बता दें कि, इतना ही नहीं बिलकिस बानो की ओर से कहा गया है कि, इस मामले में रिहाई की नीति महाराष्ट्र की लागू होनी चाहिए ना की गुजरात की. बिल्किस का कहना है कि, क्योंकि कानून के मुताबिक समुचित सरकार का मतलब इस मामले में महाराष्ट्र सरकार है ना कि गुजरात सरकार. क्योंकि महाराष्ट्र में ही यह मामला सुना गया और सजा भी सुनाई गई थी.

27 फरवरी 2002 को गुजरात के गोधरा स्टेशन पर साबरमती एक्सप्रेस के कोच को जला दिया गया था, इस ट्रेन से कारसेवक अयोध्या से लौट रहे थे, इससे Coach में बैठे 59 कारसेवकों की मौत हो गई थी. इसके बाद गुजरात में दंगे भड़क गए. दंगों की आग से बचने के लिए बिलकिस बानो अपनी बच्ची और परिवार के साथ गांव छोड़कर चली गई थी. बिलकिस बानो और उनका परिवार जहां छिपा था वहां 3 मार्च 2002 को 20 से 30 लोगों की भीड़ ने तलवार और लाठियों से हमला कर दिया. भीड़ ने बिलकिस बानो के साथ बलात्कार किया उस समय बिल्किस 5 महीने की गर्भवती थी. इतना ही नहीं उनके परिवार के साथ सदस्यों की हत्या भी कर दी गई थी. बाकी 6 सदस्य वहां से भाग गए थे.

सुप्रीम कोर्ट ने गुजरात सरकार को दिया था अधिकार इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने 11 को दोषी ठहराया था और उम्र कैद की सजा सुनाई थी. इनमें से एक दोषी ने गुजरात हाईकोर्ट में अपील दायर कर पॉलिसी के तहत रिहा करने की मांग की थी. गुजरात हाई कोर्ट ने खारिज कर दिया इसके बाद गुजरात हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट पहुंचा. मई 2022 में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि इस मामले में गुजरात सरकार ने रिहाई का फैसला किया करने के लिए एक कमेटी बनाई. कमेटी की सिफारिश पर गुजरात सरकार ने सभी 11 दोषियों को रिहा करने का फैसला किया.