जियो-एयरटेल समुद्र के अंदर की केबल प्रणाली मालदीव के हुलहुमाले को जोड़ेगी

आए दिन हम जिस इंटरनेट (How Internet Works) का इस्तेमाल करते हैं, वह दरअसल समुद्र के नीचे हजारों फुट की गहाराई में फैले केबल के जाल की वजह से चलता है। इस केबल के जाल को अब और मजूबत बनाया जा रहा है। रिलायंस जियो और एयरटेल दोनों ही इस दिशा में अहम कदम उठा रहे हैं। रिलायंस जियो इन्फोकॉम की अगली पीढ़ी की मल्टी-टेराबिट इंडिया-एशिया-एक्सप्रेस (आईएएक्स) समुद्र के अंदर की केबल (Reliance Jio Underwater Cables) प्रणाली मालदीव के हुलहुमाले को जोड़ेगी। जियो ने कहा है कि वह आईएएक्स परियोजना ओशन कनेक्ट मालदीव के सहयोग से मालदीव में ‘उतरेगी’। वहीं दूसरी ओर भारती एयरटेल ‘एसईए-एमई-डब्ल्यूई-6 (सी-मी-वी-6) समुद्री के अंदर केबल (Bharti Airtel Underwater Cables) लगाने के गठजोड़ (अंडरसी केबल कंसोर्टियम) में शामिल हो गई है। यह वैश्विक स्तर पर दुनिया की सबसे लंबी समुद्री केबल प्रणाली होगी। आइए जानते हैं समुद्र के अंदर बिछे केबल्स के इस जाल के बारे में (Underground Cables amazing facts) और समझते हैं ये कैसे करता है काम (how underwater cables works)।इंटरनेट कनेक्शन के लिए हम सभी अपने चारों ओर केबल्स और तमाम तरह के बॉक्स के जिस जाल को देखते हैं, वह पूरी दुनिया को कनेक्ट करने का महज एक छोटा सा हिस्सा है। इंटरनेट कनेक्शन, स्पीड और डेटा ट्रांसफर का असली जाल तो समुद्र की गहराइयों में हजारों मीटर नीचे बिछा हुआ है। यह जाल पूरी दुनिया को एक-दूसरे से जोड़ने का काम करता है। केबल के जाल की इस तस्वीर से आप समझ सकते हैं कि दुनिया समुद्र के नीचे बिछे केबल्स के जरिए कैसे वर्चुअल कनेक्शन स्थापित करती है। मौजूदा समय में समुद्र के नीचे करीब 426 सबमरीन केबल्स हैं, जिनकी कुल लंबाई लगभग 13 लाख किलोमीटर है। गूगल, माइक्रोसॉफ्ट और फेसबुक जैसी बड़ी इंटरनेट कंपनियां इन्हें बिछाती हैं। तमाम टेलिकॉम प्रोवाइडर्स भी इसकी फंडिंग के हिस्सेदार होते हैं। जियो और एयरटेल भी इसी का हिस्सा बने हैं।ये केबल हजारों किलोमीटर लंबी होती हैं और माउंट एवरेस्ट (8,848 मीटर) जितनी गहराई से भी अधिक नीचे बिछी होती हैं। इन्हें एक खास नाव- ‘केबल लेयर्स’ के जरिए समुद्र की गहराइयों में बिछाया जाता है। 100-200 किमी. केबल ही आमतौर पर एक दिन में बिछाए जाते हैं। इनकी चौड़ाई 17 मिलीमीटर के आसपास होती है। सैटलाइट सिस्टम की तुलना सबमरीन ऑप्टिकल फाइबर केबल डाटा ट्रांसफर के लिए काफी सस्ते पड़ते हैं। इनका नेटवर्क भी सैटेलाइट की तुलना में अधिक तेज होता है